ये लचक, ये महक और मेरी ये खुमारी। मैं किसी दिन ज़रूर काम में लूंगी। ये लचक, ये महक और मेरी ये खुमारी। मैं किसी दिन ज़रूर काम में लूंगी।
बस इतना ही कहूंगी गर मै पसंद नहीं तो ढूंढ लेना अपनी पसंद हुजूर! बस इतना ही कहूंगी गर मै पसंद नहीं तो ढूंढ लेना अपनी पसंद हुजूर!
गहराती जा रही है रात, बात कर लें। शिकवे जो रहे गुस्ताख, राख कर लें। गहराती जा रही है रात, बात कर लें। शिकवे जो रहे गुस्ताख, राख कर लें।
इस कविता में मैंने वर्षा ऋतु का स्वागत अलग अलग लोगों द्वारा कैसे किया जाता है और अपने अंतरमन के विचा... इस कविता में मैंने वर्षा ऋतु का स्वागत अलग अलग लोगों द्वारा कैसे किया जाता है और...
श्रमदान और कर्मदान की तुम ही जीवित मूरत हो। श्रमदान और कर्मदान की तुम ही जीवित मूरत हो।
कैनवास के रंग.. कैनवास के रंग..